मुंबई पुलिस ने सभी जोन में à सेल किए लॉन्च, 25 करोड़ बचाने के लिए साइबर कमांडो को किया गया सम्मानित



संवाददाता; सगीर अंसारी 
मुंबई:बढ़ते साइबर क्राइम को देखते हुए मुंबई पुलिस ने हर जोन में शुरू साइबर सेल को और हाइटेक बनाने की शुरूआत की है.  जिसमे तैनात तैनात पुलिसकर्मियों को विशेष ट्रेनिंग दी गई है.  इन पुलिसकर्मियों ने कई लोगों के पैसे बचाए हैं इसीलिए इन्हें साइबर कमांडो नाम के साथ मुंबई पुलिस कमिश्नर ने 'साइबर शील्ड लोगो' भी लॉन्च किया.

 साइबर अपराधों पर जागरूकता फैलाने और उन्हें होने से रोकने के उद्देश्य से जुलाई महीने में मुंबई के सभी तेरह ज़ोन में साइबर सेल की शुरुआत की गई थी।

 जिससे मुंबई में होने वाली साइबर क्राइम की घटनाओं को सुलझाने में काफी मदद मिली है.  यही कारण है कि 2022 की तुलना में 2023 में डिटेक्शन प्रतिशत बढ़ गया है। 2023 में डिटेक्शन प्रतिशत 22 प्रतिशत था, जबकि 2022 में यही आंकड़ा 11 प्रतिशत था।  इसके अलावा 1930 कॉल सेंटर में सूचना मिलने के बाद पुलिस ने लोगों के 25 करोड़ रुपये बचाए हैं, इसलिए अब उन्हें साइबर कमांडो की उपाधि से सम्मानित किया गया है।

 मुंबई पुलिस आयुक्त विवेक फणसलकर ने बुधवार को विशेष पुलिस आयुक्त देवेन भारती, संयुक्त आयुक्त सत्यनारायण चौधरी और विशिष्ट अतिथि भारतीय स्टेट बैंक के महाप्रबंधक जीएस राणा की उपस्थिति में परियोजना के लोगो का उद्घाटन किया।  कार्यक्रम के दौरान एक सत्र हुआ जिसमें साइबर विशेषज्ञों ने 200 पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग दी.  ये सभी साइबर क्राइम सेल से जुड़े लोग हैं.

 ये 200 पुलिसकर्मी 1000 पुलिस कर्मियों और अधिकारियों को ट्रेनिंग देंगे.  जिसका उद्देश्य यह है कि थाने में कार्यरत ड्यूटी ऑफिसर को भी साइबर क्राइम से जुड़ी जानकारी पता रहे.

 पुलिस कमिश्नर विवेक फणसलकर ने कहा कि इस दुनिया में साइबर प्रशिक्षित पुलिस बल की जरूरत है क्योंकि अब छोटे बच्चों की भी इंटरनेट और डिजिटल माध्यम तक पहुंच है.  उन्होंने कहा कि साइबर फ्रॉड से न सिर्फ पैसा बल्कि प्रतिष्ठा भी घटती है.  इस कारण सबसे जरूरी है कि अनजान नंबरों से आने वाली कॉल से बचें।  इससे खुद को बचाने का एक ही तरीका है कि आप किसी भी अनजान व्यक्ति को अपनी डिटेल्स न दें।

 विशेष पुलिस आयुक्त देवेन भारती ने कहा कि साइबर पुलिस हेल्पलाइन नंबर 1930 ने कई लोगों को साइबर धोखाधड़ी से अपना पैसा बचाने में मदद की है।  उन्होंने आगे कहा कि यह हेल्पलाइन हर दिन 70 से 80 लाख रुपये बचाने में मदद करती है, जिन लोगों को एहसास होता है कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है, वे गोल्डन ऑवर के भीतर इस पर कॉल करते हैं, तो वे पैसे भी बचा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अब तक हम ऐसा करने में सक्षम हैं। साइबर में हम केवल 20 से 25 प्रतिशत तक ही पहुंच पाए हैं और अभी भी हमें साइबर में 75 से 80 प्रतिशत तक पहुंचना बाकी है।

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